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|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
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<poem>
कौन था जो साथ अपने सब उजाले ले गया
किसने दे दी ये अंधेरों की निगहबानी मुझे

रौशनी क्या, रौशनी के सब उजाले ले गया
कौन था जो साथ अपने सब उजाले ले गया
जिस क़दर भी थे मनाज़र देखे भाले, ले गया

है किसी इक उम्र की अंधी परेशानी मुझे

कौन था जो साथ अपने सब उजाले ले गया
किसने दे दी ये अंधेरों की निगहबानी मुझे।

</poem>
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