Changes

लाज़िम है / कुमार सौरभ

1,352 bytes added, 13:32, 16 अगस्त 2020
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार सौरभ |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> न्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार सौरभ
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
न्याय की सबसे ऊँची कुर्सियों पर बैठते हैं
इसलिए माननीय हैं
लेकिन आलोचना से परे कब हो गये?

नीयत सही हो
तो भरोसा जीतिए
कुछ टिप्पणियों-सवालों से
क्यों डर गये?

बहुत अहम काम
आपके जिम्मे है, साहब!
लाज़िम है
कि हम परखते रहें
आप सुच्चे हैं, कि सड़ गये!'


''['''*'''न्यायतंत्र की पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करने और नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण एवं अन्य सभी प्रतिबद्ध नागरिकों के सतत संघर्ष को समर्पित]''
<poem>
92
edits