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ठाठ / सुरेन्द्र डी सोनी

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|रचनाकार= सुरेन्द्र डी सोनी
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|संग्रह=मैं एक हरिण और तुम इंसान / सुरेन्द्र डी सोनी
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<poem>
मन्दिर में आया है
तो देख ज़माने के ठाठ -
आँख ही जो मूँदनी थी
तो घर क्या बुरा था...?
</poem>
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