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{{KKRachna
|रचनाकार= सुरेन्द्र डी सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं एक हरिण और तुम इंसान / सुरेन्द्र डी सोनी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
साहब का
प्रत्युत्तर देना
ज़रूरी नहीं -
ज़रूरी है
तुम्हारा नमस्कार करना...
साहब ने
अपने साहब से
यही सीखा है !
</poem>
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|रचनाकार= सुरेन्द्र डी सोनी
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साहब का
प्रत्युत्तर देना
ज़रूरी नहीं -
ज़रूरी है
तुम्हारा नमस्कार करना...
साहब ने
अपने साहब से
यही सीखा है !
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