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मशीन / सुरेन्द्र डी सोनी

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|रचनाकार= सुरेन्द्र डी सोनी
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|संग्रह=मैं एक हरिण और तुम इंसान / सुरेन्द्र डी सोनी
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<poem>
मशीन
तुम्हें सिखा रही होगी
जीना –
मैं तो इसमें
मरने की
सहूलियत देखता हूँ !
</poem>
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