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|रचनाकार=अभिषेक कुमार अम्बर
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<poem>
इक़रार करने वाले इंकार करने वाले
किस देस जा बसे हैं अब प्यार करने वाले।

मेरी ज़िन्दगी के गुल को गुलज़ार करने वाले
रख्खे ख़ुदा सलामत तुझे प्यार करने वाले।

होंगे वो दूसरे ही उपचार करने वाले
हमने हकीम पाए बीमार करने वाले।

सब दोस्तों से अपने मत दिल के राज़ कहना
होते हैं पीठ पीछे कुछ वार करने वाले।

रंजो-अलम हैं पहले फिर तेरी बेवफ़ाई
मेरी शायरी का क़ायम मेयार करने वाले।

तू ही प्यार मेरा पहला तू ही प्यार आख़िरी है
तेरे बाद ज़ीस्त में हम नहीं प्यार करने वाले।
</poem>
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