भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उन्वान / अजय सहाब

1,361 bytes added, 05:26, 5 सितम्बर 2020
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अजय सहाब |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatNazm}} <p...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अजय सहाब
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatNazm}}
<poem>
क्या ज़रूरी है मुहब्बत को मुहब्बत कहना ?
क्या बिना नाम दिए प्यार नहीं हो सकता ?
क्यों ज़रूरी है कि खुशबू को कहें हम खुशबू ?
क्या बिना बोले ये अहसास नहीं हो सकता ?

प्यार कह कह के कोई प्यार करे तो क्या है
प्यार जज़्बात की तश्हीरो नुमाइश तो नहीं
प्यार करना तो मुक़द्दस सी जज़ा है खुद में
प्यार कुछ पाने की बेसूद सी ख़्वाहिश तो नहीं

प्यार मिल जाए तो उन्वान न देना उसको
नाम कुछ भी हो मुहब्बत तो वही रहती है
कोई फूलों को अगर ख़ार पुकारे भी तो क्या
फूल की ज़ीनतो निकहत तो वही रहती है
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,988
edits