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|रचनाकार=अंबर खरबंदा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
सर्दी बहुत है दोस्तो ! हालत ख़राब है
बाज़ार चल के ढूंढ लें इसका कोई जवाब
माँ के लिए खरीद लें सस्ती-सी एक शाल
ले आएं अपने वास्ते मँहगी कोई शराब
</poem>
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सर्दी बहुत है दोस्तो ! हालत ख़राब है
बाज़ार चल के ढूंढ लें इसका कोई जवाब
माँ के लिए खरीद लें सस्ती-सी एक शाल
ले आएं अपने वास्ते मँहगी कोई शराब
</poem>