भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इंदिरा शर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=इंदिरा शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
ये अजाने पथिक – घन
नभ में घूमते घनश्याम से
चल रहे हैं साथ मेरे
सुभग घन , मन - वलय घेरे
तू बनी रे चातकी
मन प्राण मेरे |
तृप्ति की संपुष्टि में ये
चंचुपुट उन्मुक्त तेरे ,
घन बरस तू , स्वाति के नक्षत्र में शुभ
जलधि बन तृप्त कर दे , कंठ सूखे |
नभ में घूमते ये तृप्ति के जल घूँट
पी ले |
तू बनी रे चातकी
मन प्राण मेरे |
ये अजाने पथिक घन
चल रहे हैं साथ मेरे |
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=इंदिरा शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
ये अजाने पथिक – घन
नभ में घूमते घनश्याम से
चल रहे हैं साथ मेरे
सुभग घन , मन - वलय घेरे
तू बनी रे चातकी
मन प्राण मेरे |
तृप्ति की संपुष्टि में ये
चंचुपुट उन्मुक्त तेरे ,
घन बरस तू , स्वाति के नक्षत्र में शुभ
जलधि बन तृप्त कर दे , कंठ सूखे |
नभ में घूमते ये तृप्ति के जल घूँट
पी ले |
तू बनी रे चातकी
मन प्राण मेरे |
ये अजाने पथिक घन
चल रहे हैं साथ मेरे |
</poem>