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05:13, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
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<poem>
नैरंगे-मुकाफात से ये जाना है
खोना ही फ़क़ीरों के लिए पाना है
इस्बात का पहलू जो नफ़ी में है निहां
कब जानने वालों ने भी पहचाना है।
</poem>