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|रचनाकार= प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’'परवेज़'|संग्रह=रास्ता बनता रहे / प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’'परवेज़'
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
 
सब के हिस्से से उन्हें हिस्सा सदा मिलता रहे
चाहते हैं लोग कुछ ,ये सिलसिला चलता रहे