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'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास'''
 
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|रचनाकार=लुईज़ा ग्लुक
|अनुवादक=ओम निश्चल
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आप ही देखिए कि वे कोई निर्णय नहीं ले सके
इसलिए यह स्वाभाविक ही था कि वे डूब जाते
 
पहले बर्फ़ उन्हें अन्दर ले गई
और फिर, उनके सभी सर्दियों, वाले ऊनी स्कार्फ़
उनके पीछे तैरते रहे उनके डूबने से लेकर
अन्त तक जब तक कि वे पूरी तरह शान्त नहीं हो गए
और तालाब ने उन्हें कई गुना गहरी पकड़ से ऊपर नहीं उठाया
 
लेकिन मौत उन्हें अलग अलग तरह से आनी चाहिए,
शुरुआत के इतना क़रीब ।
हालाँकि वे हमेशा से थे
दृष्‍टिहीन और भारहीन ।
इसलिए शेष सब स्‍वप्‍नमय था, दीपक,
टेबल और उनके शरीरों को ढँकने वाले अच्छे श्‍वेत वस्‍त्र भी
 
फिर भी वे उन नामों को सुनते रहे
जिन नामों से उन्‍हें पुकारा गया
तालाब पर फिसलते हुए जैसे :
तुम किसके इन्तज़ार में हो
घर आओ, घर आओ, खो जाओ
नीले और स्थायी जल में ।
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : ओम निश्चल'''
'''और लीजिए, अब पढ़िए अँग्रेज़ी में मूल कविता'''
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