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Kavita Kosh से
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अगर बदल न दिया आदमी ने दुनियाँ को,
हर इन्किलाब के बाद आदमी समझता है,
बहुत न बेकसी-ए-इश्क़ पर कोई रोये,
अगर तलाश करें,क्या नहीं है दुनियाँ में,