भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

विश्वेश्वराय वरदाय / श्लोक

49 bytes added, 09:42, 1 फ़रवरी 2009
<poem>
<span class="mantra">विश्वेश्वराय वरदाय सुराधिपायसुरप्रियाय ,
लंबोदराय सकलाय जगध्दिताय।
नागाननाय सितसर्पविभूषायश्रुतियग्यविभुसिताय,
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
</span>
</poem>
Anonymous user