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किस मन्दिर को जाओगे मुसाफिर, किस मन्दिर पे में जाना है ?
किस मवाद से इबादत करना, साथ कैसे ले जाना है ?
इन्सानों के कन्धे चढकरचढ़कर, किस जन्नत को पाना है ?
किस मन्दिर को जाओगे मुसाफिर, किस मन्दिर के दर ?
दिल का जमील तख्त तख़्त पे है अकबर-ए-जहाँ का राजशुऊर शऊर का यह नूर-ए-सुनहरा, उस का सर का ताज
जिस्म का ये मन्दिर-ए-जमील, अर्ज-ए-जहाँ मरकज
दोस्त मुसाफिर, सर-ए-सडकों सड़कों पे चलता है खुदा साथसाथख़ुदा साथ-साथचुमता चूमता है खुदा ख़ुदा काम सुनहरा कर रहा इन्सानी हाथछुता है वो पेसानीपेशानी-ए-खादिम बढा बढ़ा के अपना तिलस्मी दश्त
आओ आओ वापस आओ, जाओ पकडो पा-ए-इन्सान
मरहम लगा लो चहराते हुए जख्म-ए-बिमार-ओ-बेचैन
हँसा लो चेहरा-ए-रौशन-ए-खुदा ख़ुदा, हो तुम गर एक इन्सान
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