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त्यक्त सौन्दर्य के आभरण,
एक आवाज़ देना मुझे, एक आवाज़ देना मुझे-
हे उड्ढाउषा-ग्रस्त सोमायतन!
हे पृथा-पृष्ठ निर्नाम जन! ।।
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