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Kavita Kosh से
प्रदर्शनी पे राखी हुई घूमनेवाली कुर्सी पे
बेमन से बैठा हुआ एक अंधे की तरह।
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''इस कविता का मूल नेपाली-''
'''[[घुम्नेमेचमाथि अन्धो मान्छे / भूपी शेरचन]]'''
''यस कविताको मूल नेपाली-''
'''[[घुम्नेमेचमाथि अन्धो मान्छे / भूपी शेरचन]]'''
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