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'''ग़ैरों से बारम्बार न जा कर मिला करे'''
हम से कोई अपना जीवन भर मिले नहीं-
ग़ैरों से बारम्बार न जा कर मिला करे।
ग़ैरों को बारम्बार पुकार न दिया करे।।
(1)
वैसे कोई छल ले, कोई ग़म मुझे नहीं,
ग़ैरों से बारम्बार न जा कर मिला करे।
ग़ैरों को बारम्बार पुकार न दिया करे।।
(2)
प्यासे अधरों पर गीत गुनगुना लेती हूँ,
लेकिन इस निश्छल मेरे मन को बीमार न किया करे।
ग़ैरों को बारम्बार पुकार न दिया करे।।
(3)
हर पंथ, नयन के साथ, न संगी मिला कहीं-
बदनाम बहारों के हाथों, छिपकर यह ज़हर न पिया करे।
ग़ैरों को बारम्बार पुकार न दिया करे।।
(4)
अनगिन रूपों से चिन-चिन कर, दीवार खड़ी कर दी उसने,
ग़ैरों को बारम्बार प्रणाम न किया करे।
ग़ैरों को बारम्बार पुकार न दिया करे।।
(5)
मेरे आँसू के बोल बड़े दर्दीले हैं,