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'''पाती अनुप्रासों की रूपकों के नाम'''

पथ पर चार क़दम आगे चलने का यह मत अर्थ करो-
पीछे वालों को अपनी क्षमताओं पर विश्वास नहीं।।

जिनको चलना है, वे पीछे-
मुड़ कर देख नहीं पाते।
क्योंकि देखने वाले, घटता-
अन्तर रोक नहीं पाते।।
सत्याग्रह के राजतिलक होने का यह मत अर्थ करो-
सेनानी 'सुभाष' के पथ पर, गर्व करे इतिहास नहीं।। 1।।

भ्रम की गोदी में, न सुलाओ-
तुम अपने शंकित मन को।
आँजो मत नयनों में, शिर पर-
चढ़ने वाले रज-कण को।।
चार घड़ी पहले महके हो, इसका यह मत अर्थ करो-
ये उगते अंकुर, जीवन में देखेंगे मधुमास नहीं।। 2।

</poem>
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