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उसले बाँधेको पट्टिले दुईवटा घाऊलाई छोप्दछ
सायद कुनै बेला त्यहाँ आँखा थिए ।
 
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'''[[न्याय / लैंग्स्टन ह्यूज़ / मणिमोहन मेहता|इस कविता का हिन्दी अनुवाद पढ्ने के लिए यहाँ क्लिक करेँ]]'''
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