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के थियो खै कुन्नि
भन्नुथ्यो तिमीलाई भेटेर आज।
'''[[न जाने क्या था, जो कहना था / गुलज़ार|इस कविता का मूल हिन्दी पढ्ने के लिए यहाँ क्लिक करेँ ।]]'''
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