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Kavita Kosh से
एक ज्योतित कविता
जो न जाने कितने अंधेरों से गुजर कर
लिखी गयी है
एक हंसमुख हँसमुख कविता
जिसके वक्ष में न जाने कितनी
उदासियाँ हैं
एक छोटी कविता
जिसकी मितभाषिता में मुखर है