[[Category:हाइकु]]
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34नारी विमर्शपाये सही उत्कर्षरूढ़ियाँ तोड़ो।35रत्ना का ज्ञानतुलसी बन गयेरत्न समान।36कैसे हालात !बाला,वृद्धा-बच्चियाँझेलें संताप।37अग्निपरीक्षाफिर भी परित्यक्ताबनी है सीता।38मन पिटारीदर्द के मोती रखेछिपा के नारी।39थे धर्मराजदाँव पर लगा दीपत्नी की लाज।40विधि ने रचाफिर जग ने गढ़ारूप नारी का।41तुम्हारा साथखिली धूप भी लगीचाँदनी रात।42शब्द न मिलेंमन कितना कुछकहना चाहे।43मन-आँगनस्वप्नों की थिरकनयही जीवन।44'''कौन प्रवीण'''
बजाता जो सबकी
साँसों की बीन
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