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|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल
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हाथी-सा बलवान, जहाजी हाथों वाला और हुआ
 
सूरज-सा इंसान, तरेरी आँखों वाला और हुआ
 
एक हथौड़े वाला घर में और हुआ
 
माता रही विचार अंधेरा हरने वाला और हुआ
 
दादा रहे निहार सवेरा करने वाला और हुआ
 
एक हथौड़े वाला घर में और हुआ
 
जनता रही पुकार सलामत लाने वाला और हुआ
 
सुन ले री सरकार! कयामत ढाने वाला और हुआ
 
एक हथौड़े वाला घर में और हुआ
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