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|संग्रह=आग का आईना / केदारनाथ अग्रवाल
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मैंने अपराध किया है
 
चांद को चूमकर लजा दिया है
 
दंड दो मुझे
 ::केश-कुंज के तमांध में :::क़ैद रहने का  
(रचनाकाल : 30.05.1964)
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