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Kavita Kosh से
दर्द की शिद्दत से जब बेहाल होंगे दोस्तो
तब भी अपने आपको हम गुदगुदा एँगे गुदगुदाएँगे ज़रूर
इस सदी ने ज़ब्त कर ली हैं जो नज़्में दर्द की
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