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06:31, 4 अप्रैल 2021 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=ममता व्यास
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<poem>
उन दोनों के बीच सदियों का फासला था।
सहस्त्रों वर्ष चले उस अद्भुत रिश्ते में, वे दोनों कभी नहीं मिले।
उनके बीच कभी भी "आज" नहीं था।
वे कल में रहते थे, कल में जीते थे।
वे कल मर जायेंगे ये जानते हुए भी वे आज नहीं मिलना चाहते थे।
वो अक्सर कहता मैं तुमसे मिलने कल आया था।
वो अफ़सोस की नदी में डूब जाती।
वो जाते-जाते कहता मैं कल फिर आउँगा।
वो आज को भूल कल में खो जाती।
दोनों बड़ी ही चतुराई से प्रतिदिन आज की हत्या करते।
कल में जीते और कल के लिए जीते।
</poem>