भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
मेरा अस्तित्व बना रहेगा युगो-युगो तक ।
मैं किसी के सम्मान की महोताज नहीं,
क्यांेकि मुझे विष्वास विश्वास है अपने आप पर, इसीलिए मैं गर्भ गर्व से कहती हूँ कि मैं स्त्री हूँ ।
मुझमें शक्ति है हर कष्टों से लड़ने की,
क्योंकि हजारों काँटें हैं उलझाने के लिए ।
इसीलिए दूर रखनी है नाजुक्तानाजुकता,
अशिक्षा, अन्धविश्वास, अज्ञानता ।
और कर्मठता जोश से,
346
edits