भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
<poem>
1
आई हिचकी चाँदनी रातअभी-अभी भाई ने हाथ में तेरा हाथचोटी खींचीप्रेम की बात
आई बडुळि जुनाळि रातअबि दिदा न, जनहत्थ माँ तेरु हत्थखैंचि हो चुफ्लिमाया की बात।
2
तेरा ये नेह है तो उजालाबिन बदरा के ही दुःख भी तेरे साथ बरसा मेह।तारों की माला
तेरि या मायाछन उजाळाबिन बादळा क ईखैरी बी त्वे दगड़ बर्खि गे पाणीगैंणों की माळा
3
बिंध गई मैं हँसी में ही छुपी थी प्यार तू मेरातेरी सिसकी।इन आँखों नेजाने किया क्या
घैल ह्वयौं मितू मेरी मायाहैंसी माँ इ लुकीं छै तेरी यूँ आँख्यूँन ततेरु उस्कणजणी क्य काया
4
इक सावन साँझ-सवेरेबरसे मन भीतर हिचकियाँ दे रही इक बाहर। एक सौंण चबर्खुणु मना पेटएक भैर बिसंदेश तेरे
संध्या-सुबेर
बडुळी देणी छन
रैबार त्यारा
5
पुकारो कोई बाँचाढल रहे चाँद को केवल तू समझाचकोर रोई।प्यार ये साँचा
धै लगावा क्वीकैन नी बाँचीढ़लकदि जूनौ तैंबस त्वेन समझीचकोर रूँणुमाया य साँची
6
उठी हिलोर निर्बल जीवसिंधु बन छलकी चढ़ाई-उतराईनैनों की झील।मन-कल्पना
उठी गे लैरक्वाँसू पराणीसमोद्र ह्वे छळकिउकाळ-उँदार चआँख्यों कु तालमन माँ गाणी
7
मैं तो पतंग है अपना साडोर तेरे हाथों में इतनी अवधि से खोजूँ अनंत।ओ! तू था कहाँ
मि त पतंगअपड़ू सी छैंडोरि त्यारा हत्थ माँइथगा दिनू बिटीखुजौं अनन्ततू कख जि रैं
8
नभ के चाँद सुकून पायानिहारता होगा ना तेरा चेहरा देखातुम्हें वह पहाड़ी चाँद!
द्योरा कि जूनहेरदि इ होलि नापाई सकूनतुम तैं तेरी मुखड़ी दिखेकाँठा माँ जून
9
उमड़ी यादें दिवस डूबाभूली-बिसरी बातें मेरा वो मनमीतभीगा तकिया।अभी न आया
उरळिं खुददिन डुबी गेभूलीं-बिसरीं बत्थमेरू वू मायादारभिजे सिर्वाँणुअबी बी नि ऐ
10
खुली खिड़की मन में तू हैपूरब पड़ोसी की दुनिया का ना डरउजाला हुआ।तू न रूठना
खुली जु मोरीमन माँ तू छैं पुरबै पड़ओसीदुन्या मि नि च डौरउजाळु ह्वे गेगैल्या ना रुसै
11
जागो री धरा डूब नहाऊँआ बैठी सिरहाने पिय-झील जो पाऊँभोर किरण!पार न जाऊँ।
बिजी जा पिर्थीडूबी नह्योलूऐ कि बैठी सिर्वाँणागैल्या- ताल जो पौलूबिन्सरी किर्णपार नी जौलू
12
कटे जंगल कोहरा ढकेगँवार बेदखल अठखेलियाँ सारी उगे महल।प्रिय -संग की । कुरेड़ू ढकौमाया पिरेम सब्बी गैल्या दगड़-0-
कटिन बौंण
गौं वळा बेदखल
उग्यन मैल
-0-
</poem>