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Kavita Kosh से
घबराहट से मन की धड़कन बढ़ती जाती
उसकी जवान छाती यूँ धड़केइसीलिए धड़के इसीलिए
इसीलिए दमकें यूँ उसके गालों के घेरे
मत जगाओ उसे अभी तुम,बस, इसीलिए