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|रचनाकार=तीतिलोप सोनुगा
|अनुवादक=श्रीविलास सिंह
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सपने में
मैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और गिनती हूँ उलटी गिनती 276 से
लड़कियां रेंगती है अपनी छुपने की जगहों से
पर्दों के पीछे से जहाँ से दिखते हैं उनके पाँव
बेड के नीचे से तुड़ी-मुड़ी उलझे अंगों वाली

खुल जाती है एक दरार सन्नाटे में
और गिरती हैं उनकी आवाज़ें
पुकारती एक दूसरे का नाम
भुलाती स्मृतियों को
अस्थियाँ पिघलती हुई पूर्णता की ओर

वे जो नहीं जा सकी छिपने की जगहों तक
हिलाती हैं अपनी देह वहीं से जहाँ वे खड़ी हैं
समय में झूलती हुई

वे पीछे धकेल देती हैं मुझे जाते हुए
उतारती हुई छिलके हज़ार दिनों के
पुकारती हुई रक्त को नृत्य करने को
उनके पूर्व के चेहरों के नीचे, जो है अभी भी पर्याप्त कोमल
पहचान लिए जाने को उनकी माओं द्वारा ।

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह'''
'''लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए'''
Titilope Sonuga
The Girls Are Still Laughing

In the dream
I close my eyes and count backward from 276
the girls crawl feet first from their hiding places
behind the curtains where their feet stick out
under the bed untangling from a mess of limbs

A slit in the silence bursts open
and their voices fall out
calling each other's names
unlearning memory
bones melting back to whole

The ones who do not make it into hiding
shake their bodies loose from where they stand
suspended in time

They brush past me as they go
peeling back the skin of a thousand days
calling up the blood to dance beneath
their former faces still soft enough
for their mothers to recognize
</poem>
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