भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता भट्ट |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कविता भट्ट
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
हमसाया भी नहीं साथ अब यूँ, मन उदास बहुत है।
चाँदनी तन्हा ही रही, चाँद गुम है रात की आगोश में।
पत्तों की सरसराहट, एक आहट की आस बहुत है।
नशा है- दर्द का, सोने दो, जज़्बात ही नहीं होश में।
बेमौत ही मार डाली वफ़ा, जबकि वह खास बहुत है।
नब्ज़ चुप होने को, दिल धड़कता ही नहीं जोश में।
इरादों की सीढ़ी गिराने वाले बहाने की तलाश बहुत है।
फिर भी गायेंगे सपने, रात भी है, सुबह ही नहीं रोष में।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=कविता भट्ट
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
हमसाया भी नहीं साथ अब यूँ, मन उदास बहुत है।
चाँदनी तन्हा ही रही, चाँद गुम है रात की आगोश में।
पत्तों की सरसराहट, एक आहट की आस बहुत है।
नशा है- दर्द का, सोने दो, जज़्बात ही नहीं होश में।
बेमौत ही मार डाली वफ़ा, जबकि वह खास बहुत है।
नब्ज़ चुप होने को, दिल धड़कता ही नहीं जोश में।
इरादों की सीढ़ी गिराने वाले बहाने की तलाश बहुत है।
फिर भी गायेंगे सपने, रात भी है, सुबह ही नहीं रोष में।
</poem>