भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेंद्र नेह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=महेंद्र नेह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
हम बदला लेंगे
तुमसे ए बटमार !

तुमने तोड़े मेरे सपने
तुमने मारे मेरे अपने
हम बदला लेंगे
तुमसे सरमायेदार !

बूढ़ों को बहुत सताया
बच्चों को बहुत रुलाया
हम बदला लेंगे
तुमसे ओहदेदार !

थे बदन में उग आए काँटे
जब तुमने मारे चाँटे
हम बदला लेंगे
तुमसे हवलदार !

फ़सलों पे चलाया रोलर
तुम लूट के ले गए घरभर
हम बदला लेंगे
तुमसे ज़मींदार !

ये दमन का कैसा मंज़र
तोड़े हैं अस्थि-पंजर
हम बदला लेंगे
तुमसे ए सरकार !
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits