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/* कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ */
* [[उस लब की ख़ामुशी के सबब टूटता हूँ मैं / अज़हर फ़राग़]]
* [[दोष देते रहे बे-कार ही तुग़्यानी को / अज़हर फ़राग़]]
* [[ रात की आग़ोश से मानूस इतने हो गए / अज़हर फ़राग़]]
* [[ / अज़हर फ़राग़]]