दूर तरकश के साथ करे वह वीणा की झंकार
क्या तू झलकेगी इस झलके कुछ इस तरह कि हमको लेगी मोह ले तू मोह क्या भागेगी उसके भागे तू उसके पीछे साथ लिए सब सपने
लेकिन विनय के इस क्षण तू है हमारी छोह<ref>अनुग्रह, दया, प्रेम, स्नेह, जान, जोश, मुहब्बत, प्यार, चाह</ref>
सुबह भोर के संग उड़ आती जो चैतन्य में अपने