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दूर तरकश के साथ करे वह वीणा की झंकार
लेकिन विनय के इस क्षण तू है हमारी छोह<ref>अनुग्रह, दया, प्रेम, स्नेह, जान, जोश, मुहब्बत, प्यार, चाह</ref>
सुबह भोर के संग उड़ आती जो चैतन्य में अपने