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जब तक बची दीप में बाती / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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04:58, 6 जुलाई 2021
यही हमारा सरमाया
अनगिन पथिक कारवाँ के,
देखो कैसे खिसक गए हैं
रहबर हमें यहाँ लाके।
</poem>
वीरबाला
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