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रूप सँवारे भोर
देख तेरी मुस्कान।
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शब्द-मंजरी
बिखरी उर-घाटी
प्रफुल्ल-प्राण
दिव्य-सुवास-बसी
तुम मन्त्रमुग्धा-सी।
52
शब्द-निर्झर
आकण्ठ झूमा उर
श्वास-तार पे
गीत हो सुरभित
मंत्रमुग्धा मन में।
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