भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatKavita}}
<poem>
मेरे पिता अश्वेत गोरे थे और मेरी बूढ़ी माँ अश्वेत थी काली
अगर मैंने कभी अपने पिता को बद्दुआ दी हो
तो मैं अपनी बद्दुआ वापस लेता हूँ ।
अगर मैंने कभी अपनी अश्वेत काली बूढ़ी माँ के लिए कोनरक में जाने के लिए बद्दुआ माँगी हैदी हो,
तो उस घटिया कामना के लिए मुझे अफ़सोस है
और अब मैं उसके सुखी होने की कामना करता हूँ ।
मेरी माँ झोपड़ी में मरी ।
मैं सोचता हूँ कि मैं कहाँ मरूँगा
जो न श्वेत गोरा है और न ही अश्वेत काला
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits