भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
बाँध कर रखना है गर पल्लू में चांद,
धूप में उसको तपाना चाहिए।
 
पाँव रखना भी जहाँ वाज़िब ना हो,
उस गली में घर बनाना चाहिए।
 
फ़ख़्र करने के लिये जब कुछ ना हो,
तब विरासत को भुलाना चाहिए।
 
चाँद तारे आसमां से नोचकर,
गीली मिट्टी में लगाना चाहिए।
 
जिसमें बस ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ हो 'विजय'
कोई ऐसा घर बनाना चाहिए।