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|रचनाकार=बरीस पास्तेरनाक
|अनुवादक=रमेश कौशिक
|संग्रह=
}}
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<poem>
वे सारी पटरी को घेरकर खड़े थे
जैसे शो-विण्डो के आगे हों
स्ट्रेचर को गाड़ी के अन्दर ढकेला
अर्दली अस्पताल का उछला
और ड्राइवर की सीट के पीछे आ बैठ गया
एम्बुलैंस ने पटरी और ड्योढ़ी को
मुँह फाड़े देखते आवारागर्दों को पार किया
सड़क की हलचल
हैड लाइटों की रोश
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश कौशिक'''
</poem>
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वे सारी पटरी को घेरकर खड़े थे
जैसे शो-विण्डो के आगे हों
स्ट्रेचर को गाड़ी के अन्दर ढकेला
अर्दली अस्पताल का उछला
और ड्राइवर की सीट के पीछे आ बैठ गया
एम्बुलैंस ने पटरी और ड्योढ़ी को
मुँह फाड़े देखते आवारागर्दों को पार किया
सड़क की हलचल
हैड लाइटों की रोश
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश कौशिक'''
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