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वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता।
अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हे बुलाता॥   सुन मेरी बंसी को माँ तुम इतनी खुश हो जाती।मुझे देखने काम छोड़ कर तुम बाहर तक आती॥ तुमको आता देख बांसुरी रख मैं चुप हो जाता।पत्तों में छिपकर धीरे से फिर बांसुरी बजाता॥ गुस्सा होकर मुझे डांटती, कहती "नीचे आजा"।पर जब मैं ना उतरता, हंसकर कहती "मुन्ना राजा"॥ "नीचे उतरो मेरे भैया तुम्हें मिठाई दूंगी।नए खिलौने, माखन-मिसरी, दूध मलाई दूंगी"॥
बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आता।
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