भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatKavita}}
<poem>
जिनके मन में रहा
हर बात पर संशय
उन्होंने सबसे ज़्यादा दोहराया
''''मुझे भरोसा है तुम पर''''
शब्द कुछ नहीं कहते
उनकी ध्वनि कहती है
थमो। सुनो। समझो।
</poem>