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|रचनाकार=अत्तिला योझेफ़
|अनुवादक=उज्ज्वल भट्टाचार्य
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[[Category:हंगारी भाषा]]
<poem>
अगर इस धरती पर आते हो,
बेहतर हो कि सात बार जन्म हो ।
एक बार, एक जलते हुए घर में,
एक बार, ठिठुरती बाढ़ में,
एक बार, किसी पागलखाने में,
एक बार, पके गेंहू की खेत में,
एक बार, किसी उजाड़ मठ में,
और एक बार बाड़े में सूअरों के बीच ।
छठी बार रोते हुए, पर यह काफ़ी नहीं :
तुम्हें ख़ुद सातवाँ बनना है ।

जब ज़िन्दा रहने के लिए लड़ रहे होते हो,
तुम्हारे दुश्मन को सात दिखने चाहिए ।
एक, जो इतवार को काम से दूर रहे,
एक, जो सोमवार को काम शुरू कर दे,
एक, जो बिना पगार सीख देता रहता हो,
एक, जिसने डूबकर तैरना सीखा हो,
एक, जो जंगल में बीज सा हो,
और एक, जिसे पुरखों की पनाह मिले,
पर ये सारे करतब काफ़ी नहीं :
तुम्हें ख़ुद सातवाँ बनना है ।

अगर तुम्हें एक औरत की तलाश हो,
सात लोग उस औरत तक पहुँचे ।
एक, जो बातें सुनकर दिल दे बैठे,
एक, जिसे अपनी परवाह हो,
एक, जो सपनो में खोया हो,
एक, जो लहँगा छूकर उसे महसूस करे,
एक, जिसे पता हो कि बटन कहाँ हैं,
एक, जो दुपट्टे से निपट सके :
इन सबको पतंगों की तरह इतराने दो ।
तुम्हें ख़ुद सातवाँ बनना है ।

अगर तुम्हें लिखने का शौक़ और शऊर हो,
सात लोग तुम्हारी कविता लिखें ।
एक, जो संगमरमरी महल बनाए,
एक, नींद में जिसका जन्म हो,
एक, आसमान के सफ़र में हो और उसे इसका पता हो,
एक, जिसे अलफ़ाज़ उसके नाम से पुकारें,
एक, जिसका दिल सच्चा हो,
एक, जो ज़िन्दा चूहे को चीरकर देख सके ।
दो की है हिम्मत, चार की है हुशियारी;
तुम्हें ख़ुद सातवाँ बनना है ।

और सबकुछ अगर ऐसा ही होता रहे,
तुम्हारी मौत सात की मौत होगी.
एक, जो थिरकता और पीता हो,
एक, जो जवान सीने को बाँहों में भरता हो,
एक, जो गुस्से में थाली पटक दे,
एक, जो लाचारों की जीत में मदद करे;
एक, जो आख़िरी दम तक मशक्कत में हो,
एक, जो बस चाँद की ओर देखता रहे ।
यह दुनिया तुम्हारा मक़बरा होगी :
तुम्हें ख़ुद सातवाँ बनना है ।

'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
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