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<poem>
दारोमदार जिसपे है काग़ज़ की नाव है
राजा सवार जिसपे है काग़ज़ की नाव है

उनपे तो बन्दोबस्त है तूफ़ान का मगर
मौसम की मार जिसपे है काग़ज़ की नाव है

सूखी हुई ज़मीं पे गुमाँ सब्ज़ बाग़ का
फ़स्ल-ए-बहार जिसपे है काग़ज़ की नाव है

लाज़िम गुज़र-बसर है यहाँ अपने हाल पर
परवरदिगार जिसपे है काग़ज़ की नाव है

चलते हैं उनके ख़्वाब मरुस्थल की रेत पर
ये कारोबार जिसपे है काग़ज़ की नाव है

मुझको तो याद है ये उसे याद हो न हो
बचपन उधार जिसपे है काग़ज़ की नाव है
</poem>
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