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|रचनाकार= नीलमणि फूकन
|अनुवादक= दिनकर कुमार
|संग्रह=
}}
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<poem>
आश्विन मास की रात
इन्द्रमालती के फूल रो रहे थे
उठकर जाकर देखा
गाँव की गोधूलि की तरह
तुम्हारी हंसी
सुपारी के पेड़ पर
लटक रही है ।
'''मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार'''
</poem>
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आश्विन मास की रात
इन्द्रमालती के फूल रो रहे थे
उठकर जाकर देखा
गाँव की गोधूलि की तरह
तुम्हारी हंसी
सुपारी के पेड़ पर
लटक रही है ।
'''मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार'''
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