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<poem>
यह एक अकाल-सदृश रात है
और यह चांद रहित आकाश
जहाँ सूर्य की रौशनी के बराबर है
जुगनुओं की रौशनी

एक ही छाती की गर्मी के भीतर ज्वालामुखी
और स्त्रियाँ,
हाय,
यह उदासीन मुहाने !

अब
एकलव्य सा दृष्टान्त
ख़त्म हो रहा है

यहाँ क़ब्ज़े पर क़ब्ज़ा जमाया जा रहा है,


किसी बाज़ारू दुःख विक्रेता के हाथों,
मज़ाक की पात्र बन चुकी है
हमारी हँसी

'''मूल बांगला से अनुवाद : तनुज'''
</poem>
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