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|रचनाकार=शशिप्रकाश
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}}
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<poem>
आवाज़ सन्नाटे को
अनुर्वरता और रिक्तता से मुक्त करती है
और उसे अर्थगर्भित बनाती है I
सन्नाटे में छिपी है
एक शांत-विकल प्रार्थना I
सन्नाटे में दफ़न हैं
अधूरी कामनाएँ-वासनाएँ I
सन्नाटा है स्मृतियों का संग्रहालय,
आवाज़ हमें जहाँ तक
लेकर जाती है !
</poem>
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आवाज़ सन्नाटे को
अनुर्वरता और रिक्तता से मुक्त करती है
और उसे अर्थगर्भित बनाती है I
सन्नाटे में छिपी है
एक शांत-विकल प्रार्थना I
सन्नाटे में दफ़न हैं
अधूरी कामनाएँ-वासनाएँ I
सन्नाटा है स्मृतियों का संग्रहालय,
आवाज़ हमें जहाँ तक
लेकर जाती है !
</poem>