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|संग्रह=भैँचालाको सवाई (पहिलो भाग) / धनवीर भँडारी
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<poem>
छारो उड्‌यो कुइरी मण्डल देखिएन केही।
नरलोक दुनियाँका काँप्न लाग्यो देही ॥
जप्न लागे सब कोही नारायणको नाम ।
चतपाया तेस घरि बिग्रेपछि काम ॥११॥
</poem>
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