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|संग्रह=अब्बर्पहाडको सवाई / धनवीर भँडारी
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<poem>
उड़न लाग्यो तोप गोला बन्दुकका पर्रा ।
भेटिए छ बल्ल अब आँखा भया टर्रा ।।
तोपका गोला जाँदा किल्ला भित्र पस्थे ।
अलि अलि अब्बरले जङ्गलतिर सर्दा ॥४३॥
</poem>
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