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मीत तेरे भान में हूँ,मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ। 1भरम अब है ही नहीं जगती की छाया का।मोह जी को है नहींआज किसी माया का।
अनहद से सम्मान में हूँ,
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ। 3मिलन भी जब ना हुआ।कैसा विरह यह पिया !मिलन दूर रहकर भी जब ना हुआ। मुझेमिलन का सुख दे दिया
''सच है- मैं अनुमान में हूँ! '''
'''मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।'''
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