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मीत तेरे भान में हूँ,मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ। 1भरम अब है ही नहीं जगती की छाया का।मोह जी को है नहींआज किसी माया का।
मीतु तुम्हारे भान में हूँ, मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।  मोह जी को है नहीं आज किसी माया का।  लग रहा कि प्रज्ञान में हूँ मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ। 2दस दिशाएँ हर दिशा अब गा रही मांगलध्वनि मांगल्य ध्वनि आ रही।  ईश के वरदान में हूँ, मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।  प्रेम - मिश्रित मधु पिया, मद-समर्पण - सा हुआ।
अनहद से सम्मान में हूँ,
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ। 3मिलन भी जब ना हुआ।कैसा विरह यह पिया !मिलन दूर रहकर भी जब ना हुआ। मुझेमिलन का सुख दे दिया
''सच है- मैं अनुमान में हूँ! '''
'''मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।'''
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